रिपोर्ट – सुभम भारद्वाज

हरिद्वार मेयर पद पर  किरण जैसल के नाम की घोषणा होते ही नीलम प्रकरण का जिन्न बोतल से बाहर निकल कर भाजपा की नैतिकता और राजनीतिक पारदर्शिता पर उठा रहा सवाल,

हरिद्वार : आपको बताते चलें कि उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव का बिगुल बजने पर हरिद्वार नगर निगम चुनावों में किरण जैसल को भाजपा द्वारा मेयर पद का प्रत्याशी बनाए जाने से कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। उनके पति सुभाष जैसल का नाम 2007 के चर्चित “नीलम प्रकरण” में उभर कर आया था। इसके साथ ही, सुभाष जैसल और भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मदन कौशिक के बीच नजदीकी संबंधों ने इस निर्णय को और अधिक विवादास्पद बना दिया है। यह चयन भाजपा की नैतिक नीतियों और राजनीति में पारदर्शिता की प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

वहीं भाजपा के दूसरे खेमें, और सोशल मीडिया के आधार पर हरिद्वार के लोगों की मुख्य चिंताओं पर एक नज़र,
1. महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से विरोधाभास
भाजपा जो हमेशा महिला सशक्तिकरण और नारी सम्मान की बात करती है, उसने ऐसे परिवार को महत्व क्यों दिया जिसकी पृष्ठभूमि विवादों से घिरी रही है?
2. “नीलम प्रकरण” का दुष्प्रभाव
2007 के “नीलम प्रकरण” ने भाजपा की छवि को पहले ही झटका दिया था। इस प्रकरण से जुड़े व्यक्ति के परिवार को समर्थन देकर क्या पार्टी ने अपने सिद्धांतों को पीछे छोड़ दिया है।
3. संगठनात्मक सक्रियता का अभाव
किरण जैसल की संगठनात्मक भूमिका पहले कभी सक्रिय रूप से नहीं देखी गई। ऐसे में, क्या यह चयन उनके पति सुभाष जैसल और मदन कौशिक जैसे प्रभावशाली नेताओं के दबाव में हुआ है।
4. भाजपा की नीतियों का दोहरापन
नैतिकता और पारदर्शिता की दुहाई देने वाली भाजपा ने एक ऐसा निर्णय क्यों लिया जो उसके अपने सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।
5. हरिद्वार की पवित्रता पर प्रभाव
हरिद्वार, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, में राजनीतिक समीकरण साधने के लिए विवादित नामों को आगे बढ़ाना क्या उचित है।

निष्कर्ष:
भाजपा का यह निर्णय केवल पार्टी की छवि पर असर डालने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनता के विश्वास और राजनीति में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है। पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस निर्णय के पीछे कौन से आधार थे—क्या यह निष्पक्षता से लिया गया निर्णय था या केवल राजनीतिक समीकरणों के दबाव का परिणाम।

सुझाव:
इस मुद्दे पर खुली और निष्पक्ष चर्चा होना जरूरी है। सभी राजनीतिक दलों को यहसुनिश्चित करना चाहिए कि उनके निर्णय नैतिकता और पारदर्शिता के आधार पर खरे उतरे यह जनता के विश्वास को बनाए रखने और राजनीति में एक स्वस्थ माहौल स्थापित करने के लिए अनिवार्य है।

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