नेशनल दर्पण (बिजेंद्र शीर्षवाल) हरिद्वार खाद्य कार्यालय में एक स्थान पर एक अधिकारी का जमें रहना, लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 का उल्लघंन, आरटीआई में हुआ खुलासा,
आपको बताते चलें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में खाद्य विभाग के एक अधिकारी के पिछले आठ वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत रहने का मामला सामने आया है। यह लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 का उल्लंघन माना जा रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अधिकतम कार्यकाल को निर्धारित किया गया है।
अधिनियम के प्रावधानों की खुलेआम की जा रही अनदेखी,
लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के अनुसार, किसी भी अधिकारी को एक ही स्थान पर अधिकतम 3 से 5 वर्षों तक ही तैनात रखा जा सकता है। इसके बावजूद, उक्त अधिकारी पिछले आठ वर्षों से बिना स्थानांतरण के अपनी सेवाएं देता चला आ रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस अधिकारी के इतने लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से विभाग में पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। आम जनता और अन्य कर्मचारियों का कहना है कि यह स्थिति संभावित भ्रष्टाचार और मिलीभगत को जन्म दे रही है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठने लगे सवाल,
विभागीय अधिकारियों और उच्च प्रशासन की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। जब इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई ठोस जवाब देने से बचने की कोशिश की।उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में खाद्य विभाग के एक अधिकारी के पिछले आठ वर्षों से एक ही स्थान पर कार्यरत रहने का मामला सामने आया है। यह लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 का उल्लंघन माना जा रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अधिकतम कार्यकाल को निर्धारित किया गया है।
लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के अनुसार, किसी भी अधिकारी को एक ही स्थान पर अधिकतम 3 से 5 वर्षों तक ही तैनात रखा जा सकता है। इसके बावजूद, उक्त अधिकारी पिछले आठ वर्षों से बिना स्थानांतरण के अपनी सेवाएं दे रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस अधिकारी के इतने लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से विभाग में पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। आम जनता और अन्य कर्मचारियों का कहना है कि यह स्थिति संभावित भ्रष्टाचार और मिलीभगत को जन्म दे रही है।
विभागीय अधिकारियों और उच्च प्रशासन की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। जब इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई ठोस जवाब देने से बचने की कोशिश की।
जांच और कार्रवाई की मांग,
आर टी आई कार्यकर्ता व सामाजिक कार्यकर्ताओ ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और उचित स्थानांतरण की मांग की है। साथ ही, अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी उठाई जा रही है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता है या नहीं, और क्या उत्तराखंड सरकार लोक सेवक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए आखिर कब कोई कदम उठाती है।