National Darpan News : जूना अखाड़े से जुड़े पायलट बाबा का गुरुवार को हरिद्वार में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ. हरिद्वार में पायलट बाबा अपने आश्रम में ही जूना अखाड़े की परंपरा के अनुसार चिरसमाधि में लीन हो गए।
आपको बताते चलें कि पायलट बाबा के उत्तराधिकारियों को लेकर भी जो चर्चाएं चल रही थीं, उन पर अब विराम लग गया है, पायलट बाबा की एक वसीयत सामने आई है, जिसमें उन्होंने अपनी दोनों शिष्याओं चेतना गिरी और श्रद्धा गिरी को उत्तराधिकारी बनाया है, इन दोनों साध्वियों के नेतृत्व में भक्तों की एक कमेटी को विभिन्न आश्रमों और इससे जुड़ी सभी संपत्तियों की देख-रेख का जिम्मा सौंपा गया है, पायलट बाबा की ये दोनों शिष्याएं जूना अखाड़े से महामंडलेश्वर भी घोषित हैं।
बता दें कि बीते 20 अगस्त को पायलट बाबा का महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया था, पायलट बाबा देश के बड़े संतों में शामिल थे, यही नहीं वह जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर भी थे, अपने निजी जीवन से संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा इंडियन एयर फोर्स में विंग कमांडर भी रहे थे,पायलट बाबा ने साल 1962, 1965, 1971 के युद्ध में बतौर एयर फोर्स के विंग कमांडर के रूप में हिस्सा लिया था, इन युद्धों में बाबा ने फाइटर पायलट की अहम भूमिका निभाई थी, पाकिस्तान के साथ साल 1965 और 1971 युद्ध में सफल अभियान को इन्होंने बखूबी अंजाम दिया था।
हालांकि इसके बाद इन्होंने अपने निजी जीवन से संन्यास ले लिया, चूंकि ये एयर फोर्स में फाइटर प्लेन उड़ाते थे तो इन्हें पायलट बाबा की उपाधि दी गई, वैसे इनका असली नाम कपिल सिंह था, ये बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले थे, सन्यास के बाद पायलट बाबा जून अखाड़े से जुड़ गए. काफी समय तक वह जूना अखाड़े में रहे, 1998 में वह मौका आया, जबक बाबा जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर के पद पर आसीन हुए, इसके बाद बाबा को 2010 में उज्जैन के प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया।
उत्तराखंड के हरिद्वार में पायलट बाबा का आश्रम है, 21 अगस्त को बाबा का पार्थिव शरीर हरिद्वार स्थित उनके आश्रम लाया गया, यहां बुधवार को उनके अंतिम दर्शन के लिए साधु-संतों सहित स्थानीय लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा, लोगों ने पायलट बाबा के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, इसके बाद 22 अगस्त को आश्रम में ही जूना अखाड़े की परंपरा के अनुसार पायलट बाबा चिरसमाधि में लीन हो गए, वहीं पायलट बाबा के उत्तराधिकारी को लेकर जो चर्चाएं चल रही थीं, वह भी अब खत्म हो गईं हैं।
आपको बताते चलें कि पायलट बाबा की एक वसीयत सामने आई है, जिसमें उन्होंने अपनी दोनों शिष्याओं चेतना गिरी और श्रद्धा गिरी को अपना उत्तराधिकारी बनाया है, ये दोनों साध्वी जूना अखाड़े से पहले से ही महामडंलेश्वर घोषित हैं, वहीं अब इनके ऊपर पायलट बाबा के आश्रमों की देख-रेख का जिम्मेदारी भी होगी, पायलट बाबा ने चेतना गिरी और श्रद्धा गिरी के नेतृत्व में भक्तों की एक कमेटी भी बनाई है, इस कमेटी को विभिन्न आश्रमों और इससे जुड़ी सभी संपत्तियों की देख-रेख का जिम्मा सौंपा गया है।