मोदी सरकार का यू-टर्न : नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल को अभी तीन महीने भी पूरे नहीं हुए है। केंद्र सरकार को एक के बाद एक कई बड़े फैसलों पर पीछे हटना पड़ा है। अपने कड़े फैसलों के लिए पिछले दो कार्यकाल में जानी जाने वाली मोदी सरकार को इस बार ना सिर्फ विपक्ष बल्कि अपने सहयोगियों के सामने भी झुकना पड़ रहा है।

आपको बताते चलें कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर विपक्षी दल और एनडीए के सहयोगी दल लगातार मोदी सरकार पर दवाब बना रहे थे। जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार में लेटरल एंट्री पर फिलहाल रोक लगा दी है। नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया गया है। यह पहली बार नहीं है कि, जब केंद्र सरकार को ऐसे किसी मामले पर पीछे हटना पड़ा है। इस कार्यकाल में यह चौथी बार हुआ है। इससे पहले प्रसारण विधेयक, वक्फ बिल पर भी सरकार घिर गई थी। जिसके चलते पीछे हटना पड़ा था।

यूपीएससी ने केंद्र सरकार के विभिन्न स्तरों पर ‘लेटरल एंट्री’ के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसके खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया था। लेटरल एंट्री में आरक्षण का मुद्दा कांग्रेस पार्टी ने उठाया जिसके बाद एनडीए के सहयोगियों जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) ने भी इस पर आपत्ति जताई। लगातार विवाद बढता देख। पीएम मोदी ने इस विज्ञापन को वापस लेने के आदेश दिए थे।

मंगलवार को कार्मिक विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन प्रीति सूदन को पत्र लिखकर कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए। कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है। पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था। प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

बता दे कि हाल ही में मोदी सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 का ड्राफ्ट वापस ले लिया था। सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था – हम ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (रेगुलेशन) बिल के ड्राफ्ट पर काम कर रहे हैं। मिनिस्ट्री ने कहा था कि अब सुझाव और टिप्पणियों के लिए 15 अक्टूबर 2024 तक अतिरिक्त समय दिया जा रहा है। ज्यादा विचार-विमर्श के बाद बिल का एक नया ड्राफ्ट पब्लिश किया जाएगा।

इस बिल को लेकर विपक्ष ने सरकार पर मीडिया का गला घोंटने का आरोप लगाया था। ड्राफ्ट को लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि संसद में रखे जाने से पहले ही ड्राफ्ट को कुछ चुनिंदा साझेदारों के बीच चुपके से लीक किया गया। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चुनिंदा साझेदारों के साथ बंद कमरे में इस पर चर्चा की। डिजिटल मीडिया संगठनों और सिविल सोसाइटी एसोसिएशन के साथ चर्चा भी नहीं हुई। ड्राफ्ट कॉपी पाने के लिए मंत्रालय को लेटर भी लिखा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।

मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल के पहले बजट सत्र में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया था। इस बिल को लेकर सदन में काफी हंगामा हुआ था। संसद में तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला हुआ था। हालांकि सरकार के पास बिल पास कराने के लिए जरूरी नंबर थे, लेकिन लगातार विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने इसे जेपीसी में भेजने का फैसला किया। जेपीसी के लिए 21 लोकसभा सांसदों की एक कमेटी बनी है। जो इस पर अब चर्चा करेगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को पेश बजट में कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बड़े बदलाव के ऐलान किए थे। प्रॉपर्टी के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के मामले में इंडेक्सेशन बेनेफिट हटा दिया गया। जिसे लेकर सरकार की काफी अलोचना हुई थी। सरकार ने इंडेक्सेशन बेनेफिट्स हटाने और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया था। सरकार के इस फैसले पर कॉर्पोरेट से लेकर आम आदमी तक ने नाराजगी जताई थी।

जिसके बाद मोदी सरकार की ओर से अपने इस फैसले पर यूटर्न लेते हुए वित्त विधेयक में एक संशोधन किया है है। इसके तहत अब टैक्सपेयर्स को 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए इंडेक्सेशन के बिना 12.5% ​​लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स यानी एलटीसीजी या इंडेक्सेशन के साथ 20% दर चुनने की अनुमति मिल जाएगी।

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