नेशनल दर्पण : उत्तराखंड में अब पुलिस लाइनों से थानों को भी बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य सुरक्षा उपकरण आवंटित किए जाएंगे। इस संबंध में मंगलवार को एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने विस्तृत दिशा निर्देश दिए हैं। उन्होंने इन सुरक्षा उपकरणों के साथ शस्त्रों का भी समय-समय पर निरीक्षण करने के निर्देश दिए।

दबिश में केवल अनुभवी कर्मचारियों को ही भेजा जाए,

थानों में मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों को वार्षिक फायरिंग का अभ्यास भी कराया जाए। जिस जगह दबिश दी जा रही है वहां की स्थानीय पुलिस को जरूर सूचना दी जाए। मसूरी में हुई मुठभेड़ के मामले में पुलिस मुख्यालय ने भी माना है कि वहां पर बड़ी चूक हुई है। यदि पर्याप्त सतर्कता बरती जाती तो इतनी बड़ी घटना न होती। हो सकता है कि आरोपी को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया जाता।

अब एडीजी कानून व्यवस्था ने दबिश से पहले, दबिश के दौरान और गिरफ्तारी के बाद बरती जाने वाली सावधानियों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने पुलिस लाइनों में पर्याप्त बुलेट प्रूफ जैकेट, अस्त्र, शस्त्र और सुरक्षा उपकरण रखने के निर्देश दिए हैं। पुलिसकर्मियों की शारीरिक और मानसिक दक्षता पर भी फोकस हो। एपी अंशुमान ने बताया कि बीते तीन वर्षों में प्रदेश में पुलिस पर फायरिंग की कुल 27 घटनाएं हुई हैं। इनमें पांच पुलिसकर्मी घायल हुए।

दबिश से पहले पूरी तैयारी के साथ रवाना किया जाए,

– गिरफ्तारी से पहले अधिकारियों को तत्काल सूचित किया जाए। पुलिस को शॉर्ट रेंज और लॉन्ग रेंज हथियारों और बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ ही रवाना किया जाए।

– दबिश में कम से कम चार सदस्य शामिल हों। इनमें डीएसपी, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों का नेतृत्व जरूरत के हिसाब से हो।

– दबिश में रवाना होने से पहले असलाह और कारतूसों की दशा परखी जाय कि वह चल भी रहे हैं या नहीं।

– अपराधी कितना बड़ा है उससे संभावित खतरे के संबंध में उच्चाधिकारी टीम को ब्रीफ जरूर करें।

– गिरफ्तारी स्थल पर पहुंचने से पहले ही भौगोलिक स्थिति के अनुसार टास्क निर्धारित किया जाए।

– मोबाइल लोकेशन के लिए एसओजी, एसटीएफ से तकनीकी सहायता के लिए समन्वय किया जाए और वायरलेस सेट भी जरूर साथ में हो।

– अपराधी के हमला किए जाने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए सतर्कता बरती जाए। लीडर की सपोर्ट के लिए पूरी टीम तैयार रहे।

– आपराधिक इतिहास वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के वक्त जनपद प्रभारी हर वक्त उनके संपर्क में रहें।

– मौके पर टीम लीडर वास्तविक भौगोलिक स्थिति का आकलन करें ताकि एंट्री और एग्जिट प्वाइंट के साथ वहां से निकलने के लिए रास्ता भी बनाया जाए।

– सीआरपीसी व उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन करें।

– घायल होने पर उच्चाधिकारियों को मेडिकल सहायता के लिए सूचित करें।

आरोपी के भागने की सूरत में उसका पूरी दक्षता के साथ पीछा किया जाए।

दबिश से पहले की तैयारी

– मोबाइल लोकेशन के लिए एसओजी, एसटीएफ से तकनीकी सहायता के लिए समन्वय किया जाए और वायरलेस सेट भी जरूर साथ में हो।

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